Monday, 3 June 2019

ict3955@gmail.com
ज्ञानेश पाटीदार

ध्यान मूलं गुरोमूर्ति, 
 पूजा मूलं गुरोपद्म।
मंत्र मूलं गुरोवाक्यं,
                           मोक्ष मुलं गुरोकृपा।।




ध्यान करने से गुरू की मुर्ति के दर्शन होते है। पूजा करना होतो गुरो के पद चरणो की करना चाहीए। मंत्र ही गुरू का वाक्य है, मोक्ष का मुल साधन गुरू की कृपा है।

सपने का भ्रमजाल         चंदन नगरी के राजा महेंद्र प्रजापत थे एक दिन उन्होंने सपना देखा कि राज्य में विप्लव हो गया और प्रजा  ने ...